तिखी बातोसें आगबबुला हो जाती हू मै मगर अपने है यही सोचके माफ कर देती हू मै तिखी बातोसें आगबबुला हो जाती हू मै मगर अपने है यही सोचके माफ कर देती हू मै
उस हंसी के जैसा देखा चांद है! वो फ़लक पे आज निकला चाँद है! उस हंसी के जैसा देखा चांद है! वो फ़लक पे आज निकला चाँद है!
तू दे दे मुझको मेरा प्यार है सिर्फ माँगा। तू दे दे मुझको मेरा प्यार है सिर्फ माँगा।
डॉ अशोक गोयल "अशोक " डॉ अशोक गोयल "अशोक "
बारिश की पहली बूंदो को, तुम हथेली में छुपा लेना. बारिश की पहली बूंदो को, तुम हथेली में छुपा लेना.
यह फ़क्र नही यह फर्क है। यह फ़क्र नही यह फर्क है।